हॉलिनन के पीएचडी छात्र और डिलन डोंग, जिन्होंने इस खोज में उनका समर्थन किया बताया जो हम देख रहे हैं वह एक ‘पल्सर विंड नेबुला’ है।
पल्सर एक प्रकार का न्यूट्रॉन तारा है। न्यूट्रॉन तारे तब बनते हैं जब एक मुख्य वर्ग का तारा अपने आकार और वजन के कारण संकुचित होता है। यह तब एक सुपरनोवा विस्फोट में ढह जाता है, जिसकी बदौलत पल्सर तारे बनते हैं। अभी-अभी खोजे गए न्यूट्रॉन तारे का नाम ‘VT 1137-0337’ है।
तारों से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें तो पिछले दिनों यह पाया गया था कि हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में मौजूद तारे भी ‘कंपन’ का अनुभव करते हैं। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि मिल्की वे में तारे (या ग्रह) ‘स्टारक्वेक’ का अनुभव करते हैं। जिस प्रकार पृथ्वी पर सुनामी आती है, उसी प्रकार तारों में भी कुछ असंगति होती है। एक दावा यह भी है कि ये स्टारक्वेक इतने शक्तिशाली हैं कि ये किसी तारे का आकार बदल सकते हैं। यह खोज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के मिल्की वे-मैपिंग गैया मिशन द्वारा की गई है।
गैया स्पेस ऑब्जर्वेटरी द्वारा एकत्र किए गए डेटा ने इस खोज तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस वेधशाला ने लगभग दो अरब तारों का डेटा एकत्र किया था, जिसके आधार पर यह खोज की गई है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा बताया गया है कि पहले भी वेधशाला तारों में कंपन का पता लगाने में सक्षम थी। तारों में यह कंपन अपने आकार को बनाए रखने के लिए था। अब जिन झटकों का पता चला है वे सुनामी की तरह हैं।
नवीनतम तकनीकी समाचार, स्मार्टफोन समीक्षा अधिक लोकप्रिय गतिमान गैजेट्स 360 . पर विशेष ऑफ़र के लिए एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें भेजें गूगल समाचार पर का पालन करें।